ONOS Scheme: भारत सरकार की 'वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन' (ONOS) योजना 1 जनवरी से देशभर के उच्च शिक्षा संस्थानों के 1.8 करोड़ से अधिक छात्रों और शोधकर्ताओं को शीर्ष अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध लेखों तक पहुंच प्रदान करेगी। इस योजना के तहत, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, गणित, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान और मानविकी जैसे विषयों पर आधारित 13,400 से अधिक वैश्विक पत्रिकाओं की सामग्री उपलब्ध होगी।
6,000 संस्थानों को मिलेगी सुविधा
सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ए.के.
सूद के अनुसार, पहले चरण में, इस योजना का लाभ 6,380 उच्च शिक्षा और शोध संस्थानों को मिलेगा, जिसमें 451 राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय, 4,864 कॉलेज और राष्ट्रीय महत्व के 172 संस्थान शामिल हैं। इन संस्थानों को एल्सेवियर, स्प्रिंगर नेचर, विले और अन्य प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित शोध पत्रिकाओं तक पहुंच दी जाएगी।
केंद्रित और व्यापक पहुंच
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव अभय करंदीकर ने बताया कि पहले संस्थानों को सीमित विषयों की सदस्यता मिलती थी, लेकिन अब सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को इन पत्रिकाओं की पूरी श्रृंखला तक समान पहुंच प्रदान की जाएगी। यह पहल विशेष रूप से छोटे शहरों और दूरस्थ क्षेत्रों में छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी साबित होगी।
ONOS Scheme Three Phase: तीन चरणों में होगी योजना का विस्तार
- पहला चरण: 2024 की शुरुआत से तीन वर्षों तक 13,400 पत्रिकाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।
- दूसरा चरण: निजी शिक्षण संस्थानों को इस योजना का हिस्सा बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल को अपनाया जाएगा।
- तीसरा चरण: सार्वजनिक पुस्तकालयों और अन्य स्थानों में विशेष पहुंच बिंदु बनाए जाएंगे, ताकि हर व्यक्ति इन पत्रिकाओं का उपयोग कर सके।
आईएनएफएलआईबीएनईटी करेगा समन्वय
इस परियोजना का संचालन सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (INFLIBNET) द्वारा किया जाएगा, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का एक स्वायत्त संस्थान है।
शोध और शिक्षा को मिलेगा प्रोत्साहन
ए.के. सूद ने कहा कि इस योजना से टियर-2 और टियर-3 शहरों के छात्रों, शिक्षकों और वैज्ञानिकों को शैक्षणिक सामग्री तक समान रूप से पहुंच प्राप्त होगी। यह पहल न केवल कोर विषयों में बल्कि अंतःविषय अनुसंधान को भी प्रोत्साहित करेगी।
लागत और लाभ
ONOS योजना को तीन वर्षों के लिए 6,000 करोड़ रुपये की लागत से लागू किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य वैश्विक ज्ञान तक समान पहुंच प्रदान कर भारत के शैक्षणिक और अनुसंधान क्षेत्र को सशक्त बनाना है।