भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप एवं विशेषताएं–
- भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है।
- मिश्रित अर्थव्यवस्था से तात्पर्य सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का एक साथ कार्य करना होता है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यस्था है।
- भारत की मिश्रित अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के उधमों का
- विभाजन मुख्य रूप से संसद के 1956 के औधोगिक नीति प्रस्ताव से आरम्भ होता है।
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अर्थव्यवस्था को तीन बड़े क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है-
- प्राथमिक क्षेत्र- कृषि, वन, मछली, पालन, उत्खनन आदि प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत आते है,जहा उत्पादन कार्य प्राथमिक स्तर पर होता है।
- द्वितीयक क्षेत्र- इसे विनिर्माण क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत मुख्यतः विनिर्माण उद्योग, लौह-इस्पात, सीमेंट, बिजली, गैस, जलापूर्ति आदि उद्योग आते है।
- तृतीययक क्षेत्र- इसे सेवा क्षेत्र(servicesector/Tertiary sector) भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत परिवहन, व्यापार, वाणिज्य, वित्तीय सेवा, डाक सेवा, एवं सामुदायिक सेवा आते है।
भारतीय अर्थव्यवस्था का वर्गीकरण
प्राथमिक क्षेत्र |
द्वितीयक क्षेत्र |
तृतीयक क्षेत्र |
कृषि एवं पशुपालन, मत्स्य पालन खनन एवं उत्पादन। |
निर्माण पंजीकृत एवं गैर पंजीकृत, विद्युत, गैस जलापूर्ति |
परिवहन, संग्रहण एवं संचार, व्यापार व्यावसायिक सेवाएं सरकारी तथा रक्षा प्रशासन अन्य सेवाएं |