भारत का संघीय विधानमंडल, भारत की संसद : लोकसभा के बारे में जाने Federal Legislature of India

Safalta Experts Published by: Blog Safalta Updated Fri, 27 Aug 2021 06:39 PM IST

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संघीय संसद
[Federal Parliament]

राज्यसभा

  • राज्यसभा के सदस्यों की अधिक से अधिक संख्या 250 हो सकती है।
  • राज्यसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 30 वर्ष है।
  • राज्यसभा एक स्थाई सदन है जो कभी भंग नहीं होती है। इसके सदस्यों का कार्यकाल छः वर्ष का होता है। इसके एक तिहाई सदस्य प्रति दो वर्ष बाद सेवा निवृत हो जाते है।
  • भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
  • राज्यसभा का पहली बार गठन 3अगस्त, 1952 ई को किया गया था।
 
राज्यसभा में प्रतिनिधित्व नहीं है:
अंडमान निकोबार , चंडीगढ़, दादरा वा नागर हवेली, दमन वा द्वीप और लक्ष्यद्वीप का।

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लोकसभा

लोकसभा सांसद का प्रथम या निम्न सदन है, जिसका सभापतित्व करने के लिए एक अध्यक्ष होता है। लोकसभा अपनी पहली बैठक के पश्चात यथाशीघ्र अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनती है।( अनुच्छेद 93)
 
लोकसभा की सदस्यता के लिए अनिवार्य योग्यताएं निम्न है :
1) वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
2) उसकी आयु 25 वर्ष या इससे अधिक हो
3) भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अंर्तगत यह कोई लाभ के पद पर नहीं हो।
4) वह पागल या दिवालिया न हो।
5) लोकसभा का अधिकतम कार्यकाल समन्यतः 5वर्ष होता है। मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदाई होती है।

Source: indian parliament

(अनुच्छेद 73 (3) )
 

मंत्रिपरिषद

  • मंत्रिपरिषद अनुच्छेद 75 (3) के तहत सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होती है।
  • राष्ट्रपति को उसके कार्यों के संपादन हेतु सहायता एवं परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा।
  • मंत्रीमंडल का निर्माण प्रधानमंत्री एवं कैबिनेट मंत्री को मिलाकर किया जाता है।
  • प्रत्येक मंत्री पद धारण करने से पूर्व राष्ट्रपति के सामने पद और गोपनीयता की शपथ लेते है।
  • वर्ष 2003 में 91वें संविधान संशोधन द्वारा केंद्र तथा राज्य सरकार की मंत्रिपरिषद में सदस्यों की संख्या निचले सदन की कुल सदस्य संख्या का 15% तक ही हो सकेगा।
  • सिक्किम और मिजोरम जैसे छोटे राज्यों में, जहां विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या क्रमशः 32 और 40 है। मंत्रियों को संख्या 12 रखने का प्रावधान किया गया है।
कार्य सुविधा के लिए मंत्रियों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है। कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री।
 
  • कैबिनेट मंत्री : मूल संविधान में कैबिनेट शब्द का उल्लेख नहीं किया गया था, किंतु 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 352 में इस शब्द को स्थान दिया गया है।
  • राज्यमंत्री : ये मंत्रिपरिषद के दूसरे श्रेणी के मंत्री होते है। राज्यमंत्री कैबिनेट के सदस्य नहीं होते है, इस कारण ये कैबिनेट की बैठकों में भाग नहीं लेते है।
  • उपमंत्री : इनकी नियुक्ति कैबिनेट मंत्री या राज्यमंत्री की सहायता के लिए की जाती है, ये भी कैबिनेट के सदस्य नहीं होते हैं।

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