प्रेरणा की विशेषताएं और शिक्षा में प्रेरणा का महत्व (Characteristics of Motivation and Importance of Motivation in Education)

Safalta Experts Published by: Blog Safalta Updated Mon, 07 Feb 2022 04:35 PM IST

Source: NA

अभिप्रेरणा की विशेषताएं इस प्रकार से हैं -

1) प्रेरणा जन्मजात तथा अर्जित होती है। प्रेरणा के अंतर्गत चालक  का भी समावेश होता है । 
2) स्वाभाविक और अर्जित मनोवृतियां प्राणी के व्यवहार को परिचालिक करती हैं।
3) प्रेरणा व्यक्ति की वह अवस्था होती है जो कि उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निर्देशित करती है ।
4) प्रेरणा के अंतर्गत सभी तरह के भीतरी और बाहरी उद्दीपक सम्मिलित होते हैं , जो प्राणी के व्यवहार को परिचालिक करते है।
5) चालक अथवा प्रोत्साहन से प्रेरणा अधिकाधिक प्रभावित होती है ।
इसके फलस्वरूप व्यक्ति सफलता की ओर अग्रसर होता है।
6) प्रेरणा एक मनोशारीरिक तथा आंतरिक प्रक्रिया है।
7) शरीर की यह आंतरिक प्रक्रिया किसी कार्यकलाप की ओर उन्मुख होती है जो आवश्यकता को संतुष्ट करती है , यह शक्ति भीतर से जाग्रत होती है।
8) ड्रेवर के अनुसार प्रेरणा एक चेतन अथवा अचेतन प्रभावशाली क्रियात्मक तत्व है जो व्यक्ति के व्यवहार को किसी उद्देश्य की ओर चालित करती है।

इस प्रकार सभी परिभाषाओं से अभिप्रेरणा के लक्षणों की पुष्टि होती है। मैक्डूगल ने 14 मूल प्रवृतियों का उल्लेख किया और कहा कि प्रत्येक मूल प्रवृत्ति के साथ एक संवेग जुड़ा रहता है, उसने स्पष्ट किया है कि संवेग जन्मजात प्रवृति का क्रियाशील स्वरूप होता है।  यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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 शिक्षा में अभिप्रेरणा का महत्व

अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धांतो के अनुसार वास्तविक अपक्षाओं को ध्यान में रखकर शिक्षण करवाया जाए तो अधिगम को अधिक प्रभावी व संवर्धित किया जा सकता है । थॉमसन ने प्रेरणा के महत्व को इस प्रकार परिभाषित किया है " प्रेरणा एक कला है इसके द्वारा उन छात्र - छात्राओं के पढ़ने के प्रति रुचि उत्पन्न की जाती है।  जिसमें इस प्रकार का अभाव है।  जहां पर बालकों में पढ़ने की रुचि तो है परंतु उसका अनुभव नहीं करते । वहा प्रेरणा के द्वारा यह अनुभव कराया जाता है । इसके अतिरिक्त विशिष्ट चर्चाओं के प्रति भी छात्र / छात्राओं की रुचि उत्पन्न की जाती है । 

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शिक्षा के क्षेत्र में अभिप्रेरणा की भूमिका को निम्नलिखित प्रकार दर्शाया जाता है - 

1) सीखना - सीखने का प्रमुख आधार प्रेरक ही है। सीखने की क्रिया में परिवर्तन का नियम एक प्रेरक का कार्य करता है जिस कार्य को करने से सुख मिलता है उसे वह पुन: करता है एवं दुख होने पर छोड़ देता है। यही परिणाम का नियम     है। अत: माता - पिता , अन्य बालकों तथा अध्यापक द्वारा बालक की प्रशंसा करने से प्रेरणा का संचार होता है । इस प्रकार वह आगे बढ़ता रहता है । परंतु दंड पर हताश हो जाता है ।

2) लक्ष्य की प्राप्ति - जिस प्रकार बालक के जीवन का एक लक्ष्य होता है उसी प्रकार विधालय का भी एक लक्ष्य होता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति में प्रेरणा की मुख्य भूमिका होती हैं ये सब लक्ष्य प्राकृतिक प्रेरकों द्वारा प्राप्त होती है।  इस रूप में अधिगमकर्ता प्रक्रिया में लक्ष्य निर्धारण की अभिप्रेरणा उदेश्योन्मुखी है क्यों कि लक्ष्य निर्धारण भावी जीवन से  संबंधित होता है ।

3) चरित्र निर्माण - चरित्र निर्माण शिक्षा का श्रेष्ठ गुण है।  इससे नैतिकता का संचार होता है।  अच्छे विचार एवं संस्कार जन्म लेते हैं और उनका निर्माण होता है। बालक को अधिक काम करने की उतेजना मिलती है।  अच्छे संस्कार निर्माण में प्रेरणा का प्रमुख स्थान है।

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4) अवधान - सफल अध्यापन के लिए यह आवश्यक है कि छात्रों का अवधान पाठ की ओर बना रहे  । कक्षा में छात्र पाठ के प्रति कितना जागरूक है , यह प्रेरणा पर ही निर्भर करता है। प्रेरणा से पाठ की ओर अवधान नहीं रहेगा और छात्र मस्तिष्क को केंद्रित नहीं कर पाएगा , यह अवधान प्रेरणा पर ही निर्भर करता है ।

5) अध्यापन विधियां - परिस्थिति के अनुरूप कई विधियों का प्रयोग करना पढ़ता है । इसी प्रकार प्रयोग की जाने वाली शिक्षण विधि में भी प्रेरणा का प्रमुख स्थान होता है । इस स्थिति में ही पाठ को रोचक बनाया जा सकता है और अध्यापन को सफल बनाया जा सकता है ।

6) पाठ्यक्रम - छात्र - छात्राओं के पाठ्यक्रम निर्माण में भी प्रेरणा का प्रमुख स्थान होता है। अत: पाठ्यक्रम में ऐसे विषयों को स्थान देना चाहिए जो उसमें प्रेरणा एवं रुचि उत्पन्न कर सकें , तभी सीखने का वातावरण बन पाएगा। 

7) अनुशासन - वर्तमान युग में प्रत्येक स्तर पर हम अनुशासन की समस्या देख रहे हैं। यदि उचित प्रेरकों का प्रयोग विधालय में किया जाए तो अनुशासन की समस्या पर्याप्त सीमा तक हल को सकती है ।
 

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