भारतीय संविधान उच्चतम न्यायालय के प्रमुख वादों में निर्णय (Amendment of constitution) तथा संघ और राज्य Federation and State

Safalta Experts Published by: Blog Safalta Updated Mon, 23 Aug 2021 03:53 PM IST

Source: nationalinterest.com

भारतीय संविधान

उच्चतम न्यायालय के प्रमुख वादों में निर्णय

शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ(1952)-
  1. संविधान संशोधन की शक्ति जिसमें मूल अधिकार भी शामिल हैं, अनुच्छेद 368 में निहित है।
सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य(1965)-  
  1. मूल अधिकारों में संशोधन का अधिकार अनुच्छेद 368 में ही माना गया।
गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)-
  1. संसद को मूल अधिकारों में कमी या समाप्त करने का अधिकार नहीं है।
  2. सर्वोच्च न्यायालय पर उसके पूर्व में किए गए निर्णय बाध्यकारी नहीं हैं।
  3. अनुच्छेद 368 केवल प्रक्रिया बताता है क्षेत्र नहीं है।
 केशवानन्द भारती बनाम  केरल राज्य (1973)-
  1. अनुच्छेद 368 द्वारा मूल अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है।
  2. संसद को मूलअधिकार सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन का अधिकार है, लेकिन आधारभूत ढ़ाँचे को बनाये रखना आवश्यक है।

संघ और राज्य
Federation and State

  • भारतीय संविधान में भारत को ‘राज्यों का संघ’ (Union of the State) कहा गया है। संघ (Federation) शब्द का कहीं प्रयोग नहीं किया गया है।
  • डी डी बसु के अनुसार भारत का संविधान एकात्मक तथा संघात्मक का सम्मिश्रण है।
    के सी व्हीयर के अनुसार संघीय कम और एकात्मक अधिक है। अर्थात् यह अर्द्ध संघीय है।
  • भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 7 संघ राज्य क्षेत्र है, संघ राज्य क्षेत्र में दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का अलग दर्जा प्रदान किया गया है।
  • शक्तियों का केंद्र तथा राज्यों के बीच विभाजन किया गया है। केंद्र सूची में 97 विषय, समवर्ती सूची में 47 तथा राज्य सूची में 66 विषय सम्मिलित हैं।
  • भारतीय संघ में अवशिष्ट विषय (Residuary Power) केंद्र सरकार के पास है।