Panchayati raj system in India: जानिए भारत में पंचायती राज व्यवस्था के बारे में

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Fri, 16 Jun 2023 01:08 PM IST

पंचायतें हमेशा से भारतीय समाज की मूलभूत विशेषताओं में से एक रही हैं. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी ने भी पंचायतों और ग्राम गणराज्यों की वकालत की थी. आजादी के बाद से, हमारे पास समय-समय पर भारत में पंचायतों के कई प्रावधान मौजूद रहे , जो अंततः 1992 के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के साथ अपने उद्देश्य तक पहुँच गए. 73वाँ  संविधान संशोधन अधिनियम 1992 (73वां अमेंडमेंट एक्ट या पंचायती राज अधिनियम) का पारित होना देश के संघीय लोकतांत्रिक ढांचे में एक नए युग का प्रतीक रहा . यह एक्ट बलवंत राय मेहता कमिटी की सिफारिश पर आधारित था. भारत में पंचायती राज की स्थापना 24 अप्रैल 1992 से मानी जाती है. और यह अधिनियम 24 अप्रैल, 1993 से लागू किया गया. इसमें 20 लाख से अधिक आबादी वाले सभी राज्यों के लिए पंचायती राज की 3 टियर सिस्टम (3-स्तरीय प्रणाली) शामिल है. 1992 के 74वें संशोधन अधिनियम के साथ, शहरी स्थानीय शासन की प्रणाली को संवैधानिक रूप से मान्यता दे दी गई है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
Weekly Current Affairs Magazine Free PDF: डाउनलोड करे 

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes


इस वक़्त हमारे देश में 2.51 लाख पंचायतें हैं. इनमें 2.39 लाख ''ग्राम पंचायत'', 6904 ''ब्लॉक पंचायत'' और 589 ''जिला पंचायत'' शामिल हैं. देश में कुल मिला कर 29 लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधि हैं.

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस-
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाता है. इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पंचायतों/राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को 5 श्रेणियों के पुरस्कारों के तहत सम्मानित किया जाता है. ये पुरस्कार हैं -
  1. दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार,
  2. नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार,
  3. ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार,
  4. बाल-सुलभ ग्राम पंचायत पुरस्कार और
  5. राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ई-पंचायत पुरस्कार.
73वें संविधान संशोधन अधिनियम का मुख्य उद्देश्य –

73वें संविधान संशोधन अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पंचायती राज को एक त्रिस्तरीय प्रणाली (3 टियर सिस्टम) प्रदान करना है. इस प्रणाली में निम्न लिखित पंचायतें शामिल हैं:
(1) ग्राम-स्तरीय पंचायतें.
(2) ब्लॉक-स्तरीय पंचायतें. तथा
(3) जिला स्तरीय पंचायतें.

सभी सरकारी परीक्षाओं के लिए हिस्ट्री ई बुक- Download Now

73वें संविधान संशोधन अधिनियम की मुख्य विशेषताएं –
  • ग्राम सभा ऐसी शक्तियों का प्रयोग कर सकती है और ग्राम स्तर पर ऐसे कार्य कर सकती है जिसकी स्वीकृति कानून द्वारा राज्य के विधानमंडल ने प्रदान की हो.
  • इस भाग के उपबंधों के अनुसार प्रत्येक राज्य में, ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायतों का गठन किया जाएगा.
  • बीस लाख से अधिक आबादी वाले राज्य में मध्यवर्ती स्तर पर पंचायतों का गठन नहीं किया जा सकता है.
  • पंचायत की सारी सीटें पंचायत क्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने गए व्यक्तियों द्वारा भरी जाएंगी और इस प्रयोजन के लिए प्रत्येक पंचायत क्षेत्र को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में इस प्रकार विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या का अनुपात और उसे आवंटित सीटों की संख्या, जहां तक संभव हो, पूरे पंचायत क्षेत्र में एक समान हो.
  • राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा, ग्राम स्तर तथा मध्यवर्ती स्तर पर पंचायतों के अध्यक्षों के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था कर सकता है या, यदि राज्य में मध्यवर्ती स्तर पर पंचायतें नहीं हैं, तो जिला स्तर पर पंचायतों में प्रतिनिधित्व की व्यवस्था कर सकता है.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 –
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण: अनुच्छेद 243 डी में प्रावधान है कि कुछ सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगी. प्रत्येक पंचायत में सीटों का आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में होगा. आरक्षित सीटों की कुल संख्या में से एक तिहाई (से कम नहीं) सीटें क्रमशः अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
  • महिलाओं के लिए आरक्षण - प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी जाने वाली कम से कम एक तिहाई (से कम नहीं) सीटें महिलाओं (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए) आरक्षित होंगी . अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए कुल सीटों में से एक–तिहाई से कम सीटें आरक्षित नहीं होनी चाहिए. इसे प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरा जाना चाहिए और महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए.
  • अध्यक्षों के पदों का आरक्षण- ग्राम या किसी अन्य स्तर पर पंचायतों में अध्यक्षों के पद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए इस तरह से आरक्षित होंगे जैसे किसी राज्य के विधान-मंडल में कानून द्वारा आरक्षित होते हैं.
Polity E Book For All Exams Hindi Edition- Download Now

सदस्यों की अयोग्यताएं –

 यदि कोई व्यक्ति संबंधित राज्य के विधानमंडल के द्वारा चुनाव प्रयोजन से लागू किए गए किसी कानून के अंतर्गत अयोग्य सिद्ध होता है; और यदि वह राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत अयोग्य पाया जाता है तो वह पंचायत का सदस्य बनने के लिए पात्र नहीं रहता.

पंचायत की शक्तियां, अधिकार और जिम्मेदारियां –

राज्य विधानमंडलों के पास पंचायतों को ऐसी शक्तियाँ और अधिकार प्रदान करने की विधायी शक्तियाँ होती हैं जो उन्हें स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हो सकती हैं. उन्हें आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करने और योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

जाने क्या था खिलाफ़त आन्दोलन – कारण और परिणाम

वित्तीय संसाधन और कर लगाने की शक्तियाँ –

एक राज्य कानून के द्वारा एक पंचायत को उचित कर, शुल्क, टोल शुल्क आदि लगाने, और एकत्र करने के लिए अधिकृत कर सकता है. यह राज्य सरकार द्वारा एकत्र किए गए विभिन्न कर्तव्यों, करों आदि को भी पंचायत को सौंप सकता है. पंचायतों को राज्य की संचित निधि से सहायता, अनुदान आदि दिया जा सकता है.

पंचायत वित्त आयोग –
पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने और राज्यपाल को सिफारिशें करने के लिए संविधान (73वां संशोधन अधिनियम, 1992) के प्रारंभ से एक वर्ष के भीतर एक वित्त आयोग का गठन करना आवश्यक है.

74वें संशोधन अधिनियम की कुछ मुख्य विशेषताएं-
1. प्रत्येक राज्य में, (ए) एक नगर पंचायत (बी) एक नगर परिषद(छोटे शहरी क्षेत्र के लिए) और (सी) एक नगर निगम का गठन किया जाएगा (बड़े शहरी क्षेत्र के लिए).
2. नगर पालिका में सभी सीटों को वार्ड के रूप में ज्ञात नगरपालिका क्षेत्र के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने गए व्यक्तियों के द्वारा भरा जाएगा.
3. किसी राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा, नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को नगरपालिका में प्रतिनिधित्व प्रदान कर सकता है.
4. वार्ड समिति का गठन
5. प्रत्येक नगर पालिका में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे.
6. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई से कम नहीं होगा.
7. एक राज्य, कानून द्वारा, नगर पालिकाओं को ऐसी शक्तियाँ और अधिकार प्रदान कर सकता है जो उन्हें स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हों.
8. किसी राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा किसी नगर पालिका को ऐसे करों, शुल्कों, टोलों और शुल्कों को लगाने, एकत्र करने और विनियोजित करने के लिए अधिकृत कर सकता है.
9. जिले में पंचायतों और नगर पालिकाओं द्वारा तैयार की गई योजनाओं को समेकित करने और समग्र रूप से जिले के लिए विकास योजना का मसौदा तैयार करने के लिए प्रत्येक राज्य में जिला स्तर पर एक जिला योजना समिति का गठन किया जाएगा.
10. किसी राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा, महानगर योजना समितियों की संरचना के संबंध में प्रावधान कर सकता है.और

शहरी स्थानीय निकायों के प्रकार-
1. नगर निगम
2. नगर पालिका
3. अधिसूचित क्षेत्र समिति
4. नगर क्षेत्र समिति
5. छावनी बोर्ड
6. टाउनशिप
7. पोर्ट ट्रस्ट
8. विशेष प्रयोजन एजेंसी
इसलिए पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत देश के हर गांव में लोकतंत्र का संदेश पहुंचाने की दिशा में एक बहुत अच्छा कदम रहा. बाबरी मस्जिद की समयरेखा- बनने से लेकर विध्वंस तक, राम जन्मभूमि के बारे में सब कुछ
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय, जानिए क्या है "ऑपरेशन गंगा"
2021 का ग्रेट रेसिग्नेशन क्या है और ऐसा क्यों हुआ, कारण और परिणाम
जानिए मराठा प्रशासन के बारे में पूरी जानकारी
क्या आप जानते हैं 1857 के विद्रोह विद्रोह की शुरुआत कैसे हुई थी
भारत में पुर्तगाली शक्ति का उदय और उनके विनाश का कारण
मुस्लिम लीग की स्थापना के पीछे का इतिहास एवं इसके उदेश्य
भारत में डचों के उदय का इतिहास और उनके पतन के मुख्य कारण

भारत में पंचायती राज दिवस कब मनाया जाता है?

हर साल 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जाता है. 

भारत में कुल कितने पंचायत है?

भारत में इस वक्त 2.51 लाख पंचायतें हैं.

भारत में कितनी ग्राम पंचायतें हैं?

2.51 लाख पंचायतें में 2.39 लाख ''ग्राम पंचायत'', 6904 ''ब्लॉक पंचायत'' और 589 ''जिला पंचायत'' हैं

73वें संविधान संशोधन अधिनियम का मुख्य उद्देश्य क्या था?

73वें संविधान संशोधन अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पंचायती राज को एक त्रिस्तरीय प्रणाली (3 टियर सिस्टम) प्रदान करना है. इस प्रणाली में निम्न लिखित पंचायतें शामिल हैं:
(1) ग्राम-स्तरीय पंचायतें.
(2) ब्लॉक-स्तरीय पंचायतें. तथा
(3) जिला स्तरीय पंचायतें.

Related Article

SCI Vacancy 2024: सुप्रीम कोर्ट में ग्रेजुएट्स के लिए 107 पदों पर भर्ती, 67 हजार तक मिलेगी सैलरी

Read More

DU SOL Exam Date Sheet 2025 Released, Check the Complete Schedule here

Read More

CAT 2024 Answer Key: कॉमन एडमिशन टेस्ट की उत्तर कुंजी जारी, चुनौती विंडो भी खुली; इस तारीख तक दर्ज करें आपत्ति

Read More

Karnataka 2nd PUC, SSLC time table 2025 released; Exams form 1 March, Check the full schedule here

Read More

CBSE Practical Examinations 2024–25: Guidelines for classes 10th and 12th released, Check the official notice here

Read More

JKSSB SI Recruitment 2024: जेके में सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए खुली आवेदन विंडो, 669 पदों पर होगा चयन

Read More

CLAT 2025 Answer Key: जारी हुई क्लैट परीक्षा की उत्तर कुंजी, 10 दिसंबर को आयेगा रिजल्ट

Read More

RMS CET 2025 admit card out now; Read the steps to download hall ticket here

Read More

SSC Stenographer Exam: स्टेनोग्राफर ग्रेड सी और डी पदों के लिए जारी हुई सिटी स्लिप, जानें कब आएगा एडमिट कार्ड

Read More